ओम नीरव

सोमवार, 25 अप्रैल 2016

'गीतिकालोक' संकलन नहीं बल्कि ज्ञान का अपरिमित स्रोत

Rama Verma

        अंततः इन्तजार ख़त्म हुआ, और ये अनुपम कृति 'गीतिकालोक' आज पोस्ट द्वारा प्राप्त हुई, 7 अप्रैल 2016 को सुलतानपुर उ प्र में लोकार्पण कार्यक्रम में पहुंचना तो संभव नहीं हो पाया पर सभी साथियों की पोस्ट द्वारा ये तो अंदाजा लग ही गया कि कार्यक्रम बहुत ही शानदार रहा।
         साथियों द्वारा संकलन की समीक्षा पढ़ी तो खुद को रोक पाना बहुत मुश्किल हो रहा था, अतिशीघ्र पढने की लालसा बढती जा रही थी। आज जब पुस्तक हाथों में आई तो जाना कि वाकई गीतिकालोक एक अनुपम संकलन है, जिसमे गीतिका के बारे में बहुत ही विस्तृत जानकारी दी गई है, और इतनी जानकारी हमें एक ही संकलन में उपलब्ध कराने के लिए आदरणीय नीरव सरजी बधाई के पात्र हैं।
       इसमें मेरी भी दो गीतिकाएं और एक मुक्तक शामिल है। इस अनुपम संकलन का हिस्सा बनकर बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ।
       हृदय से आभार कवितालोक का एवं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई।

Rama Verma (रमा वर्मा)                                   नागपुर, महाराष्ट्र 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें