ओम नीरव

शनिवार, 21 मई 2016

विधाएं (२) मात्राभार

विधाएं : मात्राभार~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

छन्द बद्ध रचना के लिये मात्राभार की गणना का ज्ञान आवश्यक है , इसके निम्न
लिखित नियम हैं :-

(१) ह्रस्व स्वरों की मात्रा १ होती है जिसे लघु कहते हैं , जैसे - अ, इ, उ, ऋ
(२) दीर्घ स्वरों की मात्रा २ होती है जिसे गुरु कहते हैं,जैसे-आ, ई, ऊ, ए,ऐ,ओ,औ
(३) व्यंजनों की मात्रा १ होती है , जैसे -
.... क,ख,ग,घ / च,छ,ज,झ,ञ / ट,ठ,ड,ढ,ण / त,थ,द,ध,न / प,फ,ब,भ,म /
.... य,र,ल,व,श,ष,स,ह
(४) व्यंजन में ह्रस्व इ , उ की मात्रा लगने पर उसका मात्राभार १ ही रहती है
(५) व्यंजन में दीर्घ स्वर आ,ई,ऊ,ए,ऐ,ओ,औ की मात्रा लगने पर उसका मात्राभार
.... २ हो जाता है
(६) किसी भी वर्ण में अनुनासिक लगने से मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है,
.... जैसे - रँग=११ , चाँद=२१ , माँ=२ , आँगन=२११, गाँव=२१
(७) लघु वर्ण के ऊपर अनुस्वार लगने से उसका मात्राभार २ हो जाता है , जैसे -
.... रंग=२१ , अंक=२१ , कंचन=२११ ,घंटा=२२ , पतंगा=१२२
(८) गुरु वर्ण पर अनुस्वार लगने से उसके मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है,
.... जैसे - नहीं=१२ , भींच=२१ , छींक=२१ ,
.... कुछ विद्वान इसे अनुनासिक मानते हैं लेकिन मात्राभार यही मानते हैं,
(९) संयुक्ताक्षर का मात्राभार १ (लघु) होता है , जैसे - स्वर=११ , प्रभा=१२
.... श्रम=११ , च्यवन=१११
(१०) संयुक्ताक्षर में ह्रस्व मात्रा लगने से उसका मात्राभार १ (लघु) ही रहता है ,
..... जैसे - प्रिया=१२ , क्रिया=१२ , द्रुम=११ ,च्युत=११, श्रुति=११
(११) संयुक्ताक्षर में दीर्घ मात्रा लगने से उसका मात्राभार २ (गुरु) हो जाता है ,
..... जैसे - भ्राता=२२ , श्याम=२१ , स्नेह=२१ ,स्त्री=२ , स्थान=२१ ,
(१२) संयुक्ताक्षर से पहले वाले लघु वर्ण का मात्राभार २ (गुरु) हो जाता है ,
..... जैसे - नम्र=२१ , सत्य=२१ , विख्यात=२२१
(१३) संयुक्ताक्षर के पहले वाले गुरु वर्ण के मात्राभार में कोई अन्तर नहीं पडता है,
..... जैसे - हास्य=२१ , आत्मा=२२ , सौम्या=२२ , शाश्वत=२११ , भास्कर=२११.
(१४) संयुक्ताक्षर सम्बन्धी नियम (१२) के कुछ अपवाद भी हैं , जिसका आधार 
..... पारंपरिक उच्चारण है , अशुद्ध उच्चारण नहीं !
..... जैसे- तुम्हें=१२ , तुम्हारा/तुम्हारी/तुम्हारे=१२२, जिन्हें=१२, जिन्होंने=१२२,
..... कुम्हार=१२१, कन्हैया=१२२ , मल्हार=121
(15) अपवाद के उदाहरणों में अधिकांशतः संयुक्ताक्षर का परवर्ती अक्षर 'ह' होता है
..... किन्तु यह कोई नियम नहीं है जैसे कुल्हाड़ी=122 जबकि कुल्हड़=211
ओम नीरव कवितालोक लखनऊ

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