ओम नीरव

सोमवार, 21 मार्च 2016

अजय जादौन का गीत

समीक्षा समारोह-102
विधा- गीत
स्थायी-2222 2222
अंतरा-2222 2222
स्थाई तुकान्त -आना
पदांत -होगा

तुमको आज बताना होगा ।।
दिल का प्यार जताना होगा ।।
तुमको नेह नहीं था हमसे,
फिर क्यों ये नजरें उलझायीं ।।
रोज पहेली नयी रचाकर,
तुमने कभी नहीं सुलझायीं।।
अब इनको सुलझाना होगा ।
दिल का प्यार जताना होगा ।१।
अपनापन नजरों में देखा।
पर होठों पे कभी न आया ।।
आँखों में आकर्षण कितना,
दूर कभी मैं ना हो पाया ।।
अब तो पास बुलाना होगा।
दिल का प्यार जताना होगा।।२।।
करो फैसला अब तो जल्दी ,
अब अंतिम निर्णय हो जाए।
फिर पछताने से क्या होगा,
जब तक देर बहुत हो जाए।।
मुझको भी अब जाना होगा।।
दिल का प्यार जताना होगा ।।३।।
           अजय जादौन
            खैर,अलीगढ़

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