ओम नीरव

सोमवार, 21 मार्च 2016

डॉ रंजना वर्मा दोहे

समीक्षा समारोह - 102
विधा - दोहा छंद
शिल्प विधान -- 13,11,13,11 मात्राओं के चार चरण, सम चरण तुकांत, सैम चरणों के अंत में 21 मात्रा क्रम।
तुकांत विधान क्रमश: -- (1) ऊल (2) आर (3) एत (4) ऊल (5) ऊप।

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धक धक जलती दोपहर, गर्म राख सी धूल ।
मौसम बैरी ले गया , चुन बयार के फूल ।।
तपी दोपहर जेठ की , लू बन गयी बयार ।
सूरज हिटलर सा हुआ , करता अत्याचार ।।
भू का तल तपता तवा , धूप तपे ज्यों रेत ।
सूखे अम्बर के नयन , टक टक ताकें खेत ।।
पग घायल कैसे चलें , कदम कदम पर शूल ।
रहे गुलमोहर सींचते , कैसे उगा बबूल ।।
ग्रीष्म ग्रन्थ का कर रही , आज विमोचन धूप ।
पहले तो देखा नहीँ , ऐसा रवि का रूप ।।

-- डॉ रंजना वर्मा

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