ओम नीरव

बुधवार, 13 दिसंबर 2017

कवितालोक की 20 वीं महोना काव्यशाला

       चंद्रवाटिका शिक्षा निकेतन महोना में कवितालोक की 20 वीं काव्यशाला का आयोजन डॉ सी के मिश्र के सौजन्य से राहुल द्विवेदी स्मित के संयोजन और संचालन में सम्पन्न हुआ। काव्यशाला की अध्यक्षता प्रख्यात कवि कुमार तरल जी ने की जभी मुख्य अतिथि के रूप में डॉ अशोक शर्मा और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ सुभाष चंद्र गुरुदेव उपस्थित रहे। इस अवसर पर कवुतालोक के संरक्षक ओम नीरव ने बाराबंकी से पधारे कविवर राज कुमार सोनी जी को 'कवितालोक रत्न से सम्मानित किया। काव्यशाला नाम को सार्थक करते हुए विद्यालय के छत्रों ने हिन्दी कावता पर अनेक प्रश्न पूछे जिनका सटीक और रोचक उत्तर मंच से दिया गया। प्रश्नकर्ता छात्रों में आयाज़ बेग कक्षा नौ, गुफारान कक्षा नौ और अर्पित मौर्य कक्षा आठ मुख्य थे। काव्यपाठ का प्रारम्भ छात्राओं की वाणी वंदना से हुआ। इसी क्रम में काव्य पाठ करते हुए राजा भैया राजाभ जी ने अपने दोहों से मन मोह लिया-
कहीं अस्मिता प्रश्न है, कहीं तुष्टि का भाव,
यहीं द्वंद्व है दे रहा, राष्ट्रवाद को घाव।
मृगाङ्क श्रीवास्तव -
बापू तुम टेंशन न लेना,
कोई भी पार्टी है चल नहीं सकती तुम्हारे बिना।
सचिन महरोत्रा -
चरागे दिल जलाना चाहिए था,
कि मौसम फिर सुहाना चाहिए।
अनुज पाण्डेय-
सबको हैरत में डाल देती है।
माँ मेरी सब सँभाल लेती है।
गौरव पाण्डेय रुद्र -
मेरी माँ का ये चाँद सा चेहरा
मुश्किलों में भी रास्ता देगा।
राज कुमार सोनी-
जयचंदों का वंश न होता,
मुगलों का फिर अंश न होता,
भारत माता की छती पर,
बाबर जैसा दंश न होता।
मनीष सोनी -
खिलेंगे पुष्प वादी में जो इतना कर सकोगे तुम,
उठाएँ सर सपोले जो उन्हें फौरन कुचल डालो।
केवल प्रसाद सत्यम -
बच्चों की किलकारियाँ, हाव-भाव मुस्कान,
आकर्षित कर विश्व को, दिया प्रेम-विज्ञान।
मन मोहन बाराकोटी तमाचा लखनवी -
किसी की गणेश परिक्रमा कभी न कीजिए,
स्वाभिमान के लिए तज प्राण दीजिए।
संदीप अनुरागी जी -
उस परम शक्ति ने तुमको ताकत दी है,
अपनी मेहनत से माती को सोना करो।
गौरीशंकर वैश्य विनम्र जी-
काव्य के लोक से छंद खोने लगे,
चुट्कुले हंस पड़े गीत रोने लगे।
मुख्य अतिथि डॉ अशोक शर्मा जी -
आजतक बस मैं तुम्हें रखकर किनारे ही जिया हूँ,
किन्तु फिर भी चाहता हूँ हाथ मेरा थाम कर रखो सदा तुम।
अध्यक्ष कुमार तरल-
नमन करते शहीदों को जो पहरेदार सीमा के,
न मंदिर और न मस्जिद बस अमन की बात करते हैं।
काव्य पाठ को शिखर तक पाकुंचाने वाले अन्य कवियों में मुख्य थे -राहुल द्विवेदी स्मित जी, संपत्ति कुमार मिश्र भ्रमर बैसवारी जी, गोबर गणेश जी और डॉ. सुभाष चंद्र गुरुदेव जी और ओम नीरव।
काव्यशाला के समापन पर डॉ सी के मिश्र जी ने छात्रों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में कवितालोक की भूमिका अभिनंदन के योग्य है।

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