ओम नीरव

शनिवार, 18 नवंबर 2017

कवितालोक विराट कवि सम्मेलन पीरनगर कमलापुर सीतापुर

          कवितालोक सृजन संस्थान लखनऊ उ०प्र० के तत्वाधान में आज एक विराट कवि सम्मेलन श्री शतचंडी महा यज्ञ के अवसर पर श्री साठिका देवी मंदिर के परिसर में पीरनगर, कमलापुर, सीतापुर में आयोजित हुआ I वरिष्ठ मीडिया कर्मी एवं समाज सेविका प्रीति मिश्रा शाह मुख्य अतिथि के रूप में इस आयोजन में उपस्थित रहीं Iविशिष्ट अतिथि कवि घनानंद पाण्डेय “मेघ”जी रहे एवम कार्यक्रम की अध्यक्षता कवितालोक के संरक्षक वरिष्ठ कवि आचार्य ओम “नीरव” ने की I
         इस अवसर पर यज्ञ संचालक सेवा समिति के प्रबंधक अनिल त्रिपाठी व कार्यक्रम के संयोजक सुनील त्रिपाठी के द्वारा अपने पूज्य पितामह स्व० मथुरा दत्त त्रिपाठी “शास्त्री” की स्मृति में “काव्य कौस्तुभ”- 2017 सारस्वत सम्मान के लिये वयोवृद्ध कवि भीषम लाल पाण्डेय के नाम की घोषणा की गई और उन्हें अंगवस्त्र डाल कर व सम्मानपत्र दे कर मुख्य अतिथि और अध्यक्ष द्वारा सम्मानित किया गया कार्यक्रम में पधारे अन्य कविगणों को प० चन्द्र दत्त त्रिपाठी स्मृति काव्य भारती-2017 सारस्वत सम्मान से अलंकृत किया गया I
       इसके उपरांत कवि सम्मलेन का प्रारंभ कवि घनानंद पाण्डेय “मेघ” की सुमधुर वाणी वंदना से हुआ I
माँ मुझमें कुछ तो ऐसा हो
जो कहलाये मेरा परिचय
खिल जाये माँ मन मधुवन में
काव्य कला का कोई किसलय
कवि सम्मेलन का संचालन राष्ट्रीय मंचो के जाने माने संचालक आशु कवि कमलेश मौर्य “मृदु” ने किया I केदार नाथ शुक्ल की इन पंक्तियों ने खूब तालियाँ बटोरीं क्योकिं हमे डर है हिन्दू की दृष्टि न तन जाये, पूरा हिंदुस्तान कहीं गुजरात न बन जाये 
         बस्ती से पधारी कवयित्री डा० शिवा त्रिपाठी “सरस” ने जब पढ़ा दुराचारियों के पापों  का  अंत हमें ही करना है, चूड़ी वाले कोमल हाथों में तलवार जरुरी है तो लोग वाह वाह कर उठे I
        मंजुल मंज़र “लखनवी” का कलाम भी बहुत जोरदार रहा , निभा सके न जो किरदार वो कहानी क्या , हो सर्द जिस्म तो फिर खून की रवानी क्या I
         पद्मकांत शर्मा  प्रभात ने पढ़ा “परपीड़ा है पाप जगत में वेदों का बेजोड़ कथन है , पर उपकार किये से ज्यादा उत्तम कोई और न धन है I
        कवि कुमार तरल की इन लाइनों पर पंडाल झूम उठा “भगत सुभाष राणा और शिवा बार बार, किंतु जयचंद एक बार नही चाहिए I
         ओज कवि उमाकांत पाण्डेय ने अपनी इन पंक्तियों के साथ उपस्थिति दर्ज कराई , भरी तेज तप और शौर्य से राजस्थानी माटी है , किसी तीर्थ से पुण्य यहाँ पर पावन हल्दी घाटी है I
     कार्यक्रम का संयोजन कर रहे सुनील त्रिपाठी ने अपनी बात कुछ इस तरह रखी
दिखा कर आय तिल सी , ताड़ सी दौलत बढ़ा ली है
लिया धन घोंट , घोटाला किया खाई दलाली है I
निरीक्षण वे चले करने परायी दाल का काला
जिन्होंने सात दशकों तक खिलाई दाल काली है I
                             मिज़ाज लखनवी ने अपनी पेशकश में कुछ यूँ कहा
जब तक रहेगा चाँद ये छुपकर हिजाब में I
वो रौशनी  न होगी शबे माहताब  में I
परदा कहीं जो उठ गया शर्मों लिहाज़ का I
चाहे गा कौन फिर यहाँ रहना नकाब में I
                  राहुल द्विवेदी “स्मित” ने अवधी में कुछ इस प्रकार जोर बांधा कि
सारे मिलिकै जश्न मनावत हैं अपनी बेकारी मा ,
ऐसा झोलाम्झोल होति है , हमरे गाँव जवारी मा
अपने अध्यक्षीय काव्य पाठ में आचार्य ओम नीरव ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया उन्होंने पढ़ा ,
कीजिये जो निर्माण तो पत्थरों को पाटने में हृदयों के बीच कहीं खाई गहराए न
डॉ शोभा दीक्षित भावना, अशोक अग्निपथी ,अनिल बांके,संजय सांवरा,संदीप अनुरागी,मनोज अवस्थी शुकदेव,अवनीश त्रिपाठी,धीरज श्रीवास्तव,चेतराम अज्ञानी,डॉ सुभाष चन्द्रा पारस नाथ श्रीवास्तव आदि देश के कोने कोने से आये लगभग 25 कवि एवम कवयित्रियों ने अपने काव्य पाठ से इस आयोजन को शिखर तक पहुचाया देर रात तक चले कवि सम्मलेन में भारी संख्या में लोग उत्साहवर्धन के लिये पंडाल में उपस्थित रहे , अंत में कवितालोक के संरक्षक ओम नीरव और संयोजक सुनील त्रिपाठी ने सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया I

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें