ओम नीरव

रविवार, 2 दिसंबर 2018

कवितालोक: पीरनगर सीतापुर में विराट कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह

कवितालोक सृजन संस्थान लखनऊ के तत्वाधान में संस्था के संरक्षक छन्दाचार्य ओम नीरव की अध्यक्षता में एवम कवि सुनील त्रिपाठी के संयोजन में तृतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन 31वें श्री शतचण्डी महायज्ञ के अवसर पर श्री साठिका देवी मंदिर परिसर ,पीरनगर, कमलापुर, सीतापुर में किया गया।

आयोजक श्री शतचण्डी सामाजिक सेवा समिति के प्रबन्धक अनिल त्रिपाठी थे।इस अवसर पर सीतापुर जनपद के वरेण्य ओज के कवि केदारनाथ शुक्ल जी के प्रबंध काव्य 'प्रताप' का लोकार्पण भी हुआ । पद्मकान्त शर्मा 'प्रभात' ने आये हुए अतिथियों को स्वागत अभिनंदन किया

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क्षेत्रीय भाजपा विधायक महेंद्र प्रताप सिंह यादव 

व विशिष्ट अतिथियों में सुरेश तिवारी प्रधानाचार्य रा०ब०सू०ब०सि०इंटर कालेज कमलापुर, रमेश चंद्र पांडेय पू०प्रधानाचार्य बमहेरा, अवधेश कुमार अवस्थी पू०उपप्रधानाचार्य,चंद्र देव दीक्षित

अधिकारी पुलिस वायरलेस उ०प्र०, गिरीश चंद्र मिश्र क्षेत्रीय संगठन मंत्री ,संस्कार भारती उ०प्र०

प्रमुख थे।कार्यक्रम के संयोजक सुनील त्रिपाठी व आयोजक अनिल त्रिपाठी द्वारा मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत ,अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसके उपरान्त त्रिपाठी बंधुओं द्वारा अपने पितामह की स्मृति में घोषित स्व०पं०मथुरा दत्त त्रिपाठी 'शास्त्री' स्मृति काव्य -कौस्तुभ 2018 सारस्वत सम्मान से वरेण्य कवि केदारनाथ शुक्ल को उनके खण्ड काव्य 'प्रताप' के लोकार्पण के अवसर पर सम्मानित किया गया। विशिष्ट अतिथि सुरेश तिवारी ने खण्ड काव्य 'प्रताप' पर बोलते हुए कहा कि यह खण्ड काव्य खण्ड काव्य हल्दीघाटी की याद दिलाता है ।विधायक महेंद्र यादव ने कहा कि हम सभी ने अपने बचपन में महाराणा प्रताप की शौर्य गाथाएं पढ़ी थी। आज की पीढ़ी को ऐसी पुस्तकें निश्चित तौर पर त्याग और बलिदान का संदेश देगीं कवि सम्मेलन में देश की विभिन्न हिस्सों से पधारे दो दर्जन कवियों को पं०चन्द्र दत्त त्रिपाठी स्मृति काव्य-भारती 2018 सारस्वत सम्मान व अंगवस्त्रम से मुख्य अतिथि विधायक महेंद्र प्रताप सिंह यादव व कवितालोक के संरक्षक आचार्य ओम नीरव ने सम्मानित किया ।अंत में श्री शतचण्डी सेवा समिति द्वारा समारोह के अध्यक्ष ओम नीरव ,व संयोजक सुनील त्रिपाठी को सम्मानित किया गया सम्मान समारोह का संचालन कवि उमाकान्त पांडे ने किया।समारोह के द्वितीय सत्र में सभी कवियों ने देश के जाने माने आशु कवि कमलेश मौर्य मृदु के संचालन में देर रात 3 बजे तक काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन का प्रारंभ कवयित्री सोनी मिश्रा की सुमधुर वाणी वंदना से हुआ।


गीतिकाकार मनोज मानव बिजनौर ने किसानों को शंकर की तरह लोक कल्याणकारी कहा तो ग्रामीण श्रोता भाव विभोर हो गए ,

जगत भलाई की खातिर जो, करते हैं विषपान सदा,

इस धरती पर कृषक रूप में , मैंने शंकर देखे हैं।


ग़ज़लकार डॉ॰ शोभा दीक्षित 'भावना'लखनऊ ने भी अपनी ग़ज़लों से खूब वआआह वाही लूटी

,

संयोजक सुनील त्रिपाठी ने अपने काव्यपाठ में बताया कि कविता किन परिस्थितियों में जन्म लेती,

उमढ़ता जब हृदय में ज्वार, कविता जन्म लेती है।

बढ़े जब जुल्म अत्याचार, कविता जन्म लेती है।

कराकर बन्द घाटी में, किसी बुरहान की बरसी,

मनाएं देश के गद्दार, कविता जन्म लेती है।

ग़ज़लकार शायर मंजुल मिश्र मंज़र लखनऊ ने जब अपना कलाम कुछ यूँ पढ़ा तो श्रोता वाह वाह कर उठे,

ज़माने भर के ग़म काफ़ूर हो जाते हैं इक पल में,

लपककर गोद में बेटी को जैसे ही उठाता हूँ।

संजीव मिश्र पीलीभीत को भी अपने इस गीत पर भरपूर वाहवाही मिली, 

"पूरा प्रेम किया मैंने फिर,

क्यों पूरा अधिकार नहीं।

हे मोहन फिर से मुझको,

राधा बनना स्वीकार नहीं।।"

गीतकार धीरज श्रीवास्तव मनकापुर गोण्डा

के गीत,

बीत गया है एक महीना लिया न उसने हाल

बैठ रमलिया मार रही है झल्लर को मिसकाल

पर गांव के लोगों ने भरपूर स्नेह लुटाया

कवयित्री सोनी मिश्रा हरदोई ने नारियों की बात कुछ इस तरह उठायी,

घर घर में नारी सीता है नारी ही भगवद गीता है 

पर कहने वाले क्या जाने नारी पर क्या - क्या बीता है 

रवीन्द्र पांडेय निर्झर प्रतापगढ़ ने अपनी इन पंक्तियों माँ के पाँवों को जन्नत की संज्ञा दी

जानता हूँ कि जन्नत मिलेगी वहीं,

पाँव माँ के दबाता हूँ मैं आज भी।


डॉ शरमेश शर्मा बाराबंकी ने यह पढ़कर खूब तालियां बटोरीं

जमाना लाख दुश्मन हो हमारा कुछ न बिगड़ेगा।

हम अपने बाप मां गुरू की दुवाएँ लेके चलते हैं।


ओज कवि अशोक अग्निपथी काकोरी, का ओजपूर्ण काव्य पाठ जबरदस्त रहा

गीतकार संजय सांवरा बाराबंकी के इस मुक्तक को खूब सराहा गया।

अधरों से कोई जाम पिलाये तो क्या करें।

पानी ही स्वयं आग लगाये तो क्या करें।

नैनों के द्वार खोल कोई मन के नगर में,

आ जाये, फिर न लौट के जाये तो क्या करें।


हास्य कवि चेतराम अग्यानी की ये लाइनों ने लोगों को खूब हंसाया

बी - बी गर मीठी हवै , भौजी है नमकीन ।

सालिसि ज्यादा होति है , सरहज मा पोटीन ।।


राहुल द्विवेदी स्मित ने अपनी कलम की ताकत कुछ ऐसे बयान की।

एक कलम के बूते पर मैं, दुनिया रोज बदलता हूँ ।

ये मत सोचो कवि हूँ मैं तो बस कविता कर सकता हूँ ।।

ओज कवि उमाकान्त पांडेय,के ओजस्वी काव्यपाठ पर जनता ने खूब तालियां ठोंकी

गोप कुमार मिश्र जयपुर भी ये पंक्तियां 

बहुत सराही गयी

कृष्ण की बाँसुरी तो बजी रात दिन 

श्वाँस कब कर सकी ,प्रेम का अनुसरण।

अनिल बाँके ठहाका श्री ,हास्य कवि संदीप अनुरागी ,व्यंग्यकार अरुणेश मिश्र सीतापुर के हास्य और व्यंग्य बाणों से श्रोता घायल हुए बिना न रह सके , लोकगीतकार चंद्रगत कुमार भारती फैजाबाद ने अपने सुरीले कंठ का जादू ग्रामीण वातावरण में जमकर बिखेरा । अंत में अध्यक्ष ओम नीरव की इन पंक्तियों पर श्रोताओं जमकर तालियां बजायीं।

अग्रज संग सुनील ने ज्ञान की ज्योति प्रचंड अखंड जलाई।

नीरव ज्योति जलाई जो आज सदा जलती रहे साठिका माई।

कमलेश मौर्य 'मृदु' के जादुई संचालन ने श्रोताओं

आधी रात तक अपने स्थान से हिलने नहीं दिया।

अंत में संयोजक सुनील त्रिपाठी ने सभी का आभार प्रकट कर इस समारोह को विराम दिया। 

प्रस्तुति : सुनील त्रिपाठी

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